
प्रत्यक्षदर्शी देवाराम का कहना है कि कथा के दौरान हल्की बारिश हो रही थी. तभी अचानक से तेज आंधी आई, तो कथावाचक ने पंडाल में मौजूद लोगों से पंडाल खाली करने को कहा. बारिश के कारण टेंट में लोहे के पोल्स में करंट दौड़ गया और जिस किसी ने भी इसे छुआ वो करंट की चपेट में आ गया
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