जनता का मूड कब बदल जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. जनता जब चाहे नेता और पार्टी को फर्श से अर्श पर पहुंचा देती है और जब चाहे अर्श से फर्श पर ला गिराती है.
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