पड़िहारा की गिंध्दड़

इस बार होली का रंग कुछ फिका लग रहा है ।  इस आधुनिक काल में त्यौहारों का महत्व इस कदर मिटता जा रहा है कि ऐसा लगता है कि जैसे इन 15-20 सालों कोई त्योहार नाम तक सुनने को नहीं मिलेगा। इस आधुनिक काल में हम त्योहारों को भुलाते जा रहे है। पता नहीं लोग इन्हें क्यों भूलते जा रहे है?

इसी के साथ होली का एक दृश्य।


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